इम्तिहान
कभी हँस दिये..कभी चुप रहे...कुछ आँखों की नमी मे बह गये..!
चलते थे कभी..यारों का काफिला साथ ले कर..
जेबे खाली..और दिलों मे हजारो अरमान ले कर..
वो यारों की यारी..वो मेहफिले सारी..
सब कुछ..बस यादें बन कर रह गये..
जिंदगी तेरे इम्तिहान मे..न जाने कितने सवाल अनसुलझे रह गये..!
आये थे जिंदगी मे वो खुशबू बन कर..इत्र सा हमे मेहका गये..
बेबाक-अल्लड अपनी मुस्कुराहट से..हँस कर जीना सीखा गये..
देखे जो कभी दोनो ने मिलकर...
ख्वाँब अधुरे रह गये...
जिंदगी तेरे इम्तिहान मे..न जाने कितने सवाल अनसुलझे रह गये..!
माँ को देखू तो..यूँ ही आँख भर आती है..
इतनी मोहब्बत..इतनी ताकत..वो कहाँ से लाती है?
कैसे चुकाऊ ये ऋण..जनम जनम तक तेरे कर्जदार बन कर रह गये..
कुछ कर्ज बाकी रह गये..
कुछ फर्ज बाकी रह गये..
जिंदगी तेरे इम्तिहान मे..न जाने कितने सवाल अनसुलझे रह गये..!
कभी हँस दिये..कभी चुप रहे...कुछ आँखों की नमी मे बह गये..!😊
Nice...
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